Thursday, February 11, 2016

काँचे काँचे कलियन पर भँवरा लोभइलें / महेन्द्र मिश्र

काँचे काँचे कलियन पर भँवरा लोभइलें मोर संवरिया रे
घुरूमी घुरूमी रस लेस। मोरा सँवरिया रे।
मदभरी अँखिया के जुलुमी नजरिया मोर सँवरिया रे
जुलुमी बा घुंघुरवारे बाल। मोरा सँवरिया रे।
हम के लोभवले स्याम तोहरी सुरतिया मोर सँवरिया रे।
जागते भइल भिनुसार। मोर सँवरिया रे।
कहत महेन्दर स्याम मोहेले परानवाँ मोर सँवरिया रे
नेहिया भइलें जीव के काल। मोर सँवरिया रे।

आज राम जी से खेलब होरी सखी / महेन्द्र मिश्र

आज राम जी से खेलब होरी सखी।
लाल गुलाल कुमकुमा केसर अबिर लिए भर झोरी।
राम लखन पर अबिर लगइहों पीताम्बर रंग बोरी।
फँसाइब प्रेम के डोरी।
ढोल ताल करताल बजावत होरी खेलत बरजोरी।
गाई बजाई रिझावत उनके गाल गुलाल मलो री।
कहत चलऽ होरी होरी।
बड़े भाग सखी फागुन आईल सभ मिली आज चलोरी।
कंचन थार संवार सखी री छिप के चलो खोरी-खोरी।
रंग केसर की चोरी।
सरजुग तीर अयोध्या नगरी वन प्रमोद निरखोरी।
पिचकारिन की धूम मची है द्विज महेन्द्र घनघोरी।
होरी चहुँ ओर मचो री।

एसो के सवनवाँ जोबनवाँ रहि-रहि उमकेला / महेन्द्र मिश्र

एसो के सवनवाँ जोबनवाँ रहि-रहि उमकेला
घटा गरजेला घन घोर देवरा जोगिया
कारे-कारे बदरा हरि से कहिहऽ मोर सनेसवा
जोबना करेला तन जोर देवरा जोगिया।
आधी-आधी रतिया रामा बोलेला पपीहरा
जियरा ना माने अब त मोर देवरा जोगिया।
कहत महेन्द्र मोहन गइलें कवना देसवा
तारा गिनत होला भोर देवरा जोगिया।

झनक-झनक झन बिछुआ बाजे / महेन्द्र मिश्र

झनक-झनक झन बिछुआ बाजे।
सेज चढ़त डर लागे। 
आधी रात भई जागत पहरूआ,
लागत डरवा
सासु-ननद होइहें जागे। झनक-झनक।
द्विज महेन्द्र जिया मानत नाहीं 
काहूसे कहत लाज लागे।
मोरी झनक-झनक झन बिछुआ बाजे।

मँड़वा में अइलें राम जी इहों चारो भइया / महेन्द्र मिश्र

मँड़वा में अइलें राम जी इहों चारो भइया
हाय रे सँवरियो लाल।
अंगना भइलें उजियार हाय रे संवरियों लाल।
नेगचार मांगे रामा राम जी के भइया हाय रे संवरियो लाल
अंगना धरेलें अँचरा मोर हाय रे संवरियो लाल।
छोटे-छोटे दूलहा राम छोटे-छोटे बहियाँ हार रे संवरियो लाल।
छोटे देबों अंगूठी गढ़ाय हाय रे संवरियो लाल।
कहत महेन्द्र भरी देखली नयनवाँ हाय रे संवरियो लाल
सीया जी के बाढ़ो ई सोहाग हाय रे सँवरियो लाल।

घूमि-फिरी अइलों रामा अंगना बहरलों से / महेन्द्र मिश्र

घूमि-फिरी अइलों रामा अंगना बहरलों से जिया माने ना।
बिना देखे रे सजनवाँ से जिया माने ना।
जबहीं से देखलीं रामा राम के सुरतिया से जिया माने ना।
टिकुला गिरेला नयनवाँ, से जिया माने ना।
आऊ आऊ सखिया रे संगके सहेलिया से जिया मानेना।
दूलहा भरि रे नयनवाँ से जिया माने ना।
घन रे विधाता इनकर सिरिजे सुरतिया से जिया माने ना।
महेन्द्र मोहेलें परनवाँ से जिया माने-ना।

राम जी जे अइलें पहूनवाँ गुजराइची लाइची / महेन्द्र मिश्र

राम जी जे अइलें पहूनवाँ गुजराइची लाइची। 
देखेके भइले बहार हे गुजराइची लाइची।
लछुमन का सोहे रूमाल हो गुजराइची लाइची।
कबहुँ ना देखनीं ना सूननी गुंजराइची लाइची।
अइसन वर सुकुमार हे गुंजराइची लाइची।
गारी पियारी ससुरारी के गुंजराइची लाइची।
सारी से सरहज दुलारी हे, गुंजराइची लाइची।
सारी से सरहज दुलारी हे, गुंजराइची लाइची।
रामजी के राखब भोराई के गुंजराइची लाइची।

चकुनी जे हथिया पर बइठे राजा दशरथ हे / महेन्द्र मिश्र

चकुनी जे हथिया पर बइठे राजा दशरथ हे।
मुँहे खालें पानवाँ निहारे ले बरतिया हे।
मिथिला सहरिया के पतरी तिरियवा हे।
परीछन चलेली सभे हाँथे लेली लोढ़वा हे।
अवध नगरिया से अइलें बरियतिया हे।
लंगरा ओ लुझवा सभे मुँहँवाँ लुकवले हे।
छोटे-छोटे दूलहा के छोटे-छोटे बहियाँ हे।
कबही ना देखली में अइसन दूलहवा हे।
दूलहा के देखी मोरा जियरा लोभइलें हे।
सोने के थरियावा में आरती उतरती हे।
दूलहा के परिछन से अँखियां जुड़इतीं हे।
निरखे महेन्दर सभके मोहे परानवाँ हे।
पलकों ना लागे देखी धेनुही धरनवाँ हे।

मोरा राम दुनू भइया राम से बनवाँ गइलें ना / महेन्द्र मिश्र

मोरा राम दुनू भइया राम से बनवाँ गइलें ना
अवध नगरिया के निपटे बिसरलें से सपनवाँ भइले ना।
मोरा राम दुनू भइया राम से बनवाँ गइलें ना
भोर ही के भूखे होइहें चले पग दूखे होइहें सूखे होइहें ना।
मोरा राम दुनू भइया राम से बनवाँ गइलें ना।
सुरूज के किरिन लागे लाल कुंभिलाए होइहें थाके होइहें ना।
मोरा राम दुनू भइया राम से थाके होइहें ना।
सोये होइहें छवना बेबिछवना दूनू भइया से जागे होइहें ना।
मोरा राम दूनू भइया राम जागे होइहें ना।
कहत महेन्दर रोवे माता कौसिल्या से नाहिंए अइलें ना।
मोरा धनुही चरनवाँ राम से बनवाँ गइलें ना।
मोरा राम दुनू भइया राम से बनवाँ गइलें ना।

साँची कहो नृपलाल सँवलिया रे / महेन्द्र मिश्र

साँची कहो नृपलाल सँवलिया रे।
साँची कहो नृपलाल।
कवने सखी तोरा जिया में बसी है
काहे होत बेहाल सँवलिया साँची कहों नृपलाल।
बिना पूछे नहीं जइहों लला तुम
बाँह गहे की लाज।
द्विज महेन्द्र असरन सुध लेना तुम ही गरीब नेवाज।
सँवलिया साँची कहो नृपपाल।

हम त सुनीले सखी राम जी पहुनवाँ से / महेन्द्र मिश्र

हम त सुनीले सखी राम जी पहुनवाँ से
बिहनवें सबेरे चलि जइहें हो लाल।
नीको ना लागे सखि घरवा दुअरवा से
नीकहुँ ना लागेला भवनवाँ हो लाल।
हमनीका जनिती जो राम निरमोहिया
त हमनी सनेहियो ना जोरतीं हो लाल।
हमनी का जनि तंजे राम चलि जइहें 
त हमहु किरियवा धरइतीं हो लाल।
एक मन करे सखी संगे चलि जइतीं 
दूसर लागे कुलवा के लाजवा हो लाल।
एक मन करे सखी संगे चलि जइतीं 
दूसर लागे कुलवा के लाजवा हो लाल।
हँसी-हँसी पूछेली जनकपुर के नारी से
जोरलो सनेहिया जनी तूड़िहऽ हो लाल।
जो तुहूँ जइहऽ राम जी अवध नगरिया तऽ
हमनी के संगे लेले चलिहऽ हो लाल।
दूलहा के देखि मोरा जियरा लोभइले
से देखहुँ के होइहें सपनवाँ हो लाल।
निरखे महेन्द्र मोहे सभके परनवाँ से
सनेहिया लगा के दागा कइलें हो लाल।

मोरा राम जी पहुनवाँ के घुंघुर वाली बाल / महेन्द्र मिश्र

मोरा राम जी पहुनवाँ के घुंघुर वाली बाल।
अँखिया रसीली इनक र गोरे-गोरे, गाल।
दूलहा के चोरिए चोरिए अइनीं अंगनवाँ से
दँतवा में मिसी चमके बेंदिया लिला।
धानी दुपट्टा सोहे पटुका सोहावन से
कछली पीताम्बर काछे मोतिया के हार।
कलंगी सोहावन लागे साँवली सुरतिया कि 
महेन्द्र निहाने जियरा सालेला हमारा।

जेंवहीं बइठेलें राम चारो भइया से / महेन्द्र मिश्र

जेंवहीं बइठेलें राम चारो भइया से सखी सभे पारेली गारी हो लाल।
सोने के थारी में जेवना परोसिले जेवन लागे राजा के कुँवरवा हो लाल।
हँसी-हँसी पूछेली सारी से सरहज के राउर बाप महतारी हो लाल।
रउरा त हई राम जी घर के निकलुआ से मुनि संगे फिरे धेनुधारी हो लाल। 
का करे जाएब राम जी अवध नगरिया से फूहरी तोहारी महतारी हो लाल।
लाख-लाख गारी तोहे देहब सँवरि से हमनी के छोड़ी जिन जइहऽ हो लाल।
जो तुहूँ जइब राम जी अपनी नगरिया से हमनी के संगे लेले जइहऽ हो लाल।
मइयो के गारी तोहरा बहिनीके गारी से टोलवा परोसियों के गारी हो लाल।
विश्वामित्र मुनी दाढ़ी डोलावेलें इनहूँ के दीहों आजु गारी हो लाल।
गाधी सुअन हउएँ बाले के तारसी त उनका केकर परी गाली हो लाल।
निरखे महेन्दर मोहे सभके परानवाँ से भरि लेहु भर अंकवारी हो लाल।

कवना नगरिया के ईहो दुनू जोगिया / महेन्द्र मिश्र

कवना नगरिया के ईहो दुनू जोगिया
संगवा में सोभे सुन्दर नार देवरा जोगिया।
कबहीं ना देखली में अइसन बटोहिया
जाहि देखि नयनवाँ जुड़ाय देवरा जोगिया
मीठी-मीठी बोलिया राम सालेला करेजवा 
कइसे के राखी बिलमाया देवरा जोगिया
टिकी जा तू जोगी आज हमरी दुअरिया
सेवा मैं करबों तोहार देवरा जोगिया।
तोहरा के देवो जोगी अनधन सोनवाँ 
एही ठइयाँ धुनियाँ रमवाऽ देवरा जोगिया।
महत महेन्दर ई त माने ना बटोहिया।
हमरो परनवाँ हरलें जाय देवरा जोगिया।

राम जी का सोहेला लाली चदरिया से / महेन्द्र मिश्र

राम जी का सोहेला लाली चदरिया से
सीया का दखिन रंग चीरवा हो लाल।
राम जी का सोभेला कुसुमी पगरिया से
सीया का सबुज रंग चोलिया हो लाल।
छोटे-छोटे दूलहा के छोटी-छोटी कनियाँ से
छोटे-छोटे डोलिया कहँरवा हो लाल।
जब सुधि आव राम दूलहा सुरतिया से
हनि-हनि मारेला कटरिया हो लाल।
तनमन धन सभ राम जी दूलहवासे 
हँसि-हँसि मनवाँ भोरावेलें हो लाल।
जनितीं जो होइहें सखिया सीया से बियहवा 
त रचि-रचि कोहबर रचइतीं हो लाल।
कहत महेन्द्र होइहें कब दू मिलनवाँ से 
तरसेला हमरो नयवनाँ हो लाल।

अजिर बिहारी चारों भइया हो रामा खेलत अंगनवाँ / महेन्द्र मिश्र

अजिर बिहारी चारों भइया हो रामा खेलत अंगनवाँ।
रून झुन रून झुन बाजत पैजनियाँ 
पुलकित राजीव नयनवाँ हो रामा खेलत अंगनवाँ।
अंगुरी धरि-धरि सबहीं नचावत 
छम-छम बाजेला कंगनवाँ हो रामा खेलत अंगनवाँ।
कहत महेन्द्र इहो रूप सोहवन
बसि गइलें हमरो नयनवाँ हो रामा खेलत अंगनवाँ।

कवना नगरिया के इहो दुनू भइया / महेन्द्र मिश्र

कवना नगरिया के इहो दुनू भइया 
मोर देवरवा रे हमरो परनवाँ हर ले जाय।
आ मरे महुइया के हरे-हरे पातवा
मोर देवरवा रे ओइसे डोले जियरा हमार।
कबहीं ना देखलीं हम अइसन सुरतिया
मोर देवरवा रे जेहि देखि नयनवाँ जुड़ाय।
छोटे-छोटे बहियाँ में तीरवा धेनुहिया
मोर देवरवा रे छोटे-छोटे कनियाँ निहार।
सोना के थाली में आरती उतरबों 
मोर देवरवा रे इनका के करइबों जेवंनार।
कहत महेन्द्र मन मोहले बटोहिया
मोर देवरवा रे जिया नाहीं मानेला हमार।

तोहरो सूरत देखि हम मुरूछइलीं से / महेन्द्र मिश्र

तोहरो सूरत देखि हम मुरूछइलीं से एक टक लागेला नयनवाँ से लाल।
कइसन देस कइसन गाँव के परोसिया से कइसन तोर बाप महतारी हो लाल।
अइसन बालकवा के घर से निकलले से छीन लेले तोहरो गहनवाँ हो लाल।
तोहरा के देबों जोगी शाला ओ दोशालावा से अवरू देबों सोने के जोबनवाँ हो लाल।
कबहुँ ना देखली में अइसन बटोहिया से मोही लेले हमरो परनवाँ हो लाल।
कहत महेन्द्र जोगी फड़के बदनवाँ से भूले नाहीं तोहरो चरनवाँ हो लाल।

Wednesday, February 10, 2016

कबहीं ना देखली मैं अइसन ललनवाँ से जियरा सालेला / महेन्द्र मिश्र

कबहीं ना देखली मैं अइसन ललनवाँ से जियरा सालेला।
इनकर तोतरी बचनवाँ से जियरा सालेला।
मिथिला नगरिया के इहो रे पहुनवाँ से जोगी भइलें ना।
तज के सुंदर भवनवाँ से जोगी भइल ना।
हीरा लाल मोती माला भइलें सपनवाँ से तुलसीमाला ना।
अब त भइलें रे गहनवाँ से तुलसीमाला ना।
जानकी दुलारी प्यारी मिथिला परनवाँ से जोगिन भइली ना।
अपना संगेले सजनवाँ से जोगिन भइली ना।
कवना विरिछी तरे भीजत होइहें से कइसे कटिहैं ना।
चउदह बरिस के रे दिनवाँ से कइसे कटिहें ना।
महेन्द्र निहारे राम जानकी लखनवाँ से जिया माने ना
व्याकुल होखेला परनवाँ से जिया माने ना।

भोरहीं के भूखे होइहें चले पग दूखे होइहें / महेन्द्र मिश्र

भोरहीं के भूखे होइहें चले पग दूखे होइहें
प्यासे मुख सूखे होइहें जागे मगु रात के।
सूर्य के किरिन लागे लाल कुम्हिलाए होइहें
कंठे लपिटाए झंगा फाटे होइहें गात के।
आली अब भई साँझ होइहें कहीं बन मांझ 
सोए होइहें छवना बिछवना बिनु पात के।
महेन्द्र पुकार बार-बार कोशिला जी कहे, ऐसे
सुत त्यागि, काहे ना फाटे करेजा मात के।

कोमल कुमार गात देखि कामहुँ लजात / महेन्द्र मिश्र

कोमल कुमार गात देखि कामहुँ लजात
सोई पछितात जात कइसे बन रहिहें।
बाघ सिंह सूकर अनेक विकराल काल
तामें हो बेहाल हाल कासे दुख कहिहें।
लड़िका नदान रघुनाथ मेरे प्यारे हाथ
आपनी विपत्ति घात रात दिन सहिहें।
महेन्द्र पुकार बार-बार कोशिला जी कहे अइसे 
कुवार के करेरी घाम राम कइसे सहिहें।

सभवा बइठल राजा दशरथ दरपन मुँह देखेले हो / महेन्द्र मिश्र

सभवा बइठल राजा दशरथ दरपन मुँह देखेले हो।
ललना सरवन समीप श्वेत केश भइलें चउथापन बीतेलें हो 
मनवाँ में अधिका गलानि मनहीं मन सोचेले हो।
ललना मोरा एगो पुत्र जनमिते चउथापन बीतेले हो।
बेदिया बइठलगुरु बाबा अरज एगो सूनहू हो।
ललना मोरा नाहीं पुत्र जनमलें चउथापन बीतेले हो।
बिहंसिके बोले गुरु बाबा सुनहू राजा दशरथ हो।
ललना श्रृँगीए रिसी के बोलावहु यग्य कराबहु हो।
चइत एमास सुकुल पच्छ नवमी तिथि आइल हो।
ललना सुभ घड़ी लगन मुहूरत रामजी जनम लेलें हो।
जे इहो मंगल गावेले गाई के सुनावेलें हो।
ललना सुकवि महेन्द्र बलिहारी परमपद पावेलें हो।

अवध नगरिया से अइली बरियतिया सुनुरे सजनी / महेन्द्र मिश्र

अवध नगरिया से अइली बरियतिया सुनुरे सजनी।
जनक नगरिया भइलें सोर सुनु रे सजनी।
चलु-चलु सखिया देखि आई बरियतिया सुनुरे सजनी।
पहिरऽ न लहंगा पटोर सुनु रे सजनी।
राजा दशरथ जी के प्राण के आधारवा सुनुरे सजनी।
कोसिला के अधिका पियरा सुनु रे सजनी।
कहत महेन्दर भरी देखितीं नयनवाँ सुनु रे सजनी।
फेरू नाहीं जुटिहें सुतार सुनु रे सजनी।

जेवहीं बइठेलें दुलहा महादेव संगे / महेन्द्र मिश्र

जेवहीं बइठेलें दुलहा महादेव संगे लेले भूत बैतालवा हो लाल।
गारी सुनत इनका लाजो ना लागे ला इनका केकर परी गारी हो लाल।
माई ना बाप इन का घर ना दुअरवा से घरे-घरे अलख जगावे हो लाल।
खट्रस व्यंजन इनका नीको ना लागेला खालें नित भंगिया के गोला हो लाल।
दूलहा देखत मोरा जियरा डेरइलें से करेला सरप फुफकरिया हो लाल।
तनिए सा ए शिव जी भेसवा बदलिती रउरा बन जइती राजा के कुँवरवा हो लाल।
निरखे महेन्दर भोला भेस बदललें से मोहि लेले सखिया सहेलिया हो लाल।

घोड़वा चढ़ल उइलें राम जी पहुनवाँ / महेन्द्र मिश्र

घोड़वा चढ़ल उइलें राम जी पहुनवाँ
अँचरवा उड़ि-उड़ि जाला हो लाल।
कइसे के आईं सखी राम जी अंगनवाँ
कंगनवाँ खुलि-खुलि जाना हो लाल।
सोने के थारी में जेवना परोसलों से
जेई नाहीं राजा के कुँवरवा हो लाल।
एक मन करे सखी गरवा लगइतीं
दूसर लागे कुलवा के लाजवा हो लाल।
छोटे-छोटे तीरवा धेनुहिया हो लाल।
अपना मैं राम जी के अंगुठी पेन्हइबों से 
हीरा लाल मोतिया जड़ाइब हो लाल।
अपना मैं रामजी के पानवाँ खिलइबों
से होई-जइहें मुँह लाले लाल हो लाल।
निरखे महेन्दर दुलहा जियरा लोभइले से
हमरो परनवाँ हरले जाला हो लाल।

अतना बता के जइहऽ कइसे दिन बीती राम / महेन्द्र मिश्र

अतना बता के जइहऽ कइसे दिन बीती राम।
हमनी का रहब जानी दुनू हो परानी।
आंगना में कींच-कांच दुअरा पर पानी।
खाला-ऊँचा गोर पड़ी चढ़ल बा जवानी। हमनी।
देस विदेसे जालऽ जालऽ मुलतानी।
केकरा पर छोड़ के जालऽ टूटही पलानी। हमनी।
कहत महेन्दर मिसिर सुनऽ दिलजानी।
केकरा से आग मांगब केकरा से पानी।
हमनी का रहब संगे दुनों हो परानी।

राम लखन मोरा बनके गवन कइलें / महेन्द्र मिश्र

राम लखन मोरा बनके गवन कइलें
देखहुँ के भइले सपनवाँ हो लाल।
कवने विरिछ तरे होइहें रे ललनवाँ 
से रोवते नू होइहें बिहनवाँ हो लाल।
जब सुधि आवे राम जी साँवली सुरतिया
से व्याकुल होखे ला परानवाँ हो लाल।
केकई के हम का ले बिगरलीं से 
बसलो उजारेली भवनवाँ हो लाल।
भोरहीं के भूखे होइहें पियासे मुँह सूखत होइहें
दूखत होइहें कोमल चरनवाँ हो लाल।
कहत महेन्द्र मोरा तरसे नयनवाँ 
से कबले दू होइहें मिलनवाँ हो लाल।

कोहबर में अइलें राम इहो चारों भइया / महेन्द्र मिश्र

कोहबर में अइलें राम इहो चारों भइया।
से हमनी के मोहलें परानवाँ हो लाल।
एक टक लागे सखी पलकों ना लागे 
से भूले नाहीं तोतरी बचनवाँ हो लाल।
हँसी-हँसी पूछेली सारी से सरहज 
से फेरू कब अइबऽ ससुरिया हो लाल।
तोहरो सुरतिया देखी जियरा लोभइलें 
से नीको नाहीं लागेला अटरिया हो लाल।
जाहीं के जो रहे राम अवध नगरिया त 
काहे के धनुहिया उठवलऽ हो लाल।
कहत महेन्द्र राम रहि जा भवनवाँ
से हमनी के छोड़ी कहाँ जइबऽ हो लाल।

कर जोरी पूछेली जात के भीलीनियाँ / महेन्द्र मिश्र

कर जोरी पूछेली जात के भीलीनियाँ से 
हमरा के छोड़िके कहाँ जइबऽ हो लाल।
बटिया जोहत मोर अंखिया पिरइली से 
एकटक लागेला नजरिया हो ला।
भूलिहों ना राम जी कबहीं तोरी सुरतिया से 
भूलिहें ना कोमल चरनियाँ हो लाल।
लाज मोरा लागे राम जी जात के भीलिनिया से 
कइसे के भइलें पहुनइया हो लाल।
कहत महेन्द्र राम जी भगती के भूखल से 
सेवरी का साँचे मिलि गइलें हो लाल।

हम त जनलीं कि बबुआ इनाम दीहें / महेन्द्र मिश्र

हम त जनलीं कि बबुआ इनाम दीहें।
हम नाहीं जनलीं कि जाने लीहें। बबुआ।
केकई कारण हम अता दुख सहतानी
लाखन सिकाइतो खूब सहलीं रे बबुआ।
बिना अपराधे हम कुटनी कहावतानी
मारि-मारि हलुआ बनवलऽ हो बबुआऽ।
कहाँ ले इनाम मिली नाम वो निशान रही
उलिटा में जानवाँ गँववली हो बबुआ।
जानकी लखनराम बन के गमन कइले
दुनिया में अजसी कइहलीं ए बबुआ।
इज्जत के पहुँच गइनीं दूधवा के माछी भइली,
एको नाहीं सरधा पुजवल ऽ ए बबुआ
केनियो के नाहीं भइनी दुनू तरफ से गइनी
सगरे से पापिनी कहइनी रे बबुआ।

हथिया दंतरवा सोभे सोना के अमरीया हे / महेन्द्र मिश्र

हथिया दंतरवा सोभे सोना के अमरीया हे।
ताही चढ़ी आवेले दुलहा अलबेलवा हे।
दुलहा सोहावन लागे हुलसे ला छतिया हे।
रामजी के परिछत फड़केली अँखिया हे।
केशर के टीका सोहे पटुका केसरिया हे।
लाली पगरिया पर मोरवा लोभइले हे।
सोरहो सिंगार करी चलेली सहेलिया हे।
निरखे महेन्दर मोहे चारो दूलहवा हे।
गारी सुनन अइलें राम ससुरिया हे।

मउजे मिश्रवलिया जहाँ विप्रन के ठट्ट बसे / महेन्द्र मिश्र

मउजे मिश्रवलिया जहाँ विप्रन के ठट्ट बसे 
सुन्दर सोहावन जहाँ बहुते मालिकान है।
गाँव के पश्चिम में बिराजे गंगाधर नाथ
सुख के सरूप ब्रह्मरूप के निधाना है।
गाँव के उत्तर से दक्खिन ले सघन बाँस 
पुरूब बहे नारा जहाँ काहीं का सिवाना है।
द्विज महेन्द्र रामदास पुर के ना छोड़ों आस
सुख-दुख सभ सहकार के समय को बिताना है।

पनिया के जहाज से पलटनिया बनके जइहऽ / महेन्द्र मिश्र

पनिया के जहाज से पलटनिया बनके जइहऽ 
हमके ले के अइहऽ हो।
पिया सेनूरा बंगाल के।

भोरहीं के भूखे होइहें चलत पग दूखे होइहें / महेन्द्र मिश्र

भोरहीं के भूखे होइहें चलत पग दूखे होइहें 
प्यासे मुख सूखे होइहें जागे मगु रात के।
सूर्य के किरिन लागी लाल कुम्हिलाये होइहें 
कंठै लपटाय झंगा फाटे होइहें रात के।
आली अब भई साँझ होइहें कवनो बन माँझ सोये होइहें 
छवना बेबिछवना बिनु पात के।
महेन्द्र पुकारे बार-बार कौशल्या जी कहे 
ऐसे सुत त्यागी काहे ना फाटे करेजा मात के।

राम लखन मोरा बन के गमन कइलें / महेन्द्र मिश्र

राम लखन मोरा बन के गमन कइलें हमरा के तेजी कहाँ गइलें हो लाल।
जब सुधी आवे राम साँवली सुरतिया से हिये बीच मारेला कटरिया हो लाल।
बालेपन से रामा गोदी में खेलवनी से जोरली सनेहिया तोरी गइलें हो लाल।
बिसरत नाहीं रामजी साँवली सुरतिया से छोटी-छोटी तीरवा धनुहिया हो लाल।
के मोरा खइहें रामा माखन मलइया से हँसि-हँसि मँगिहें मिठइया हो लाल।
कवना बिरिछ तले भींजत होइहें से राम लखन दुनू भइया हो लाल।
कोमल चरनियाँ रामा काँटा गरि जइहें से कइसे दू सूतिहें धरतिया हो लाल।
कंदमूल खइहें राम उहो नाहीं मिलिहें से भूखे होइहें हमरो ललनवाँ हो लाल।
कहत महेन्द्र कब ले होइहें मिलनवाँ से तरसेला दूनू रे नयनवाँ हो लाल।

सासू ननदिया मिलि के कइली ह झगड़वा / महेन्द्र मिश्र

सासू ननदिया मिलि के कइली ह झगड़वा पिया लेके अलगा रहब।
ननदी के बोलिया ना सोहाय पिया लेके अलगा रहब।
कोठा अटारी हमरा मनहूँ ना भावे पिया ले के अलगा रहब।
टूटहीं मड़ईया बा हमार पिया ले के अलगा रहब।
पूरी मिठाई हमारा मनहूँ ना भावे पिया ले के अलगा रहब।
सतुआ आ भूँजा बा हमार पिया ले के अलगा रहब।
तोशक तकिया हमरा मनहूँ ना भावे पिया ले के अलगा रहब।
टूटही चटइया बा हमार पिया ले के अलगा रहब।
गोवेलें महेन्दर मिसिर इहो रे पुरूबिया पिया ले के अलगा रहब।
लागल बाटे आसरा तोहार पिया ले के अलगा रहब।