ऐ रे जड़ जनक आज बेग ही बतावो मोही
धनुष कवन तोड़ वाको जमपुरी पठावेगें।
देख ले कुठार यह परशु की धार मेरो
सकल समाज तेरा धूरा में मिलावेगें।
देस-देस ने नरेश बैठे हैं सभा के बीच
आवे जो नगीच वाको समर में सुतावेगें।
द्विज महेन्द्र बार-बार कहता हूँ करि प्रचार
शीघ्र ही बतावो ना तो प्रलय देखलावेगें।
धनुष कवन तोड़ वाको जमपुरी पठावेगें।
देख ले कुठार यह परशु की धार मेरो
सकल समाज तेरा धूरा में मिलावेगें।
देस-देस ने नरेश बैठे हैं सभा के बीच
आवे जो नगीच वाको समर में सुतावेगें।
द्विज महेन्द्र बार-बार कहता हूँ करि प्रचार
शीघ्र ही बतावो ना तो प्रलय देखलावेगें।
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