Wednesday, February 10, 2016

मउजे मिश्रवलिया जहाँ विप्रन के ठट्ट बसे / महेन्द्र मिश्र

मउजे मिश्रवलिया जहाँ विप्रन के ठट्ट बसे 
सुन्दर सोहावन जहाँ बहुते मालिकान है।
गाँव के पश्चिम में बिराजे गंगाधर नाथ
सुख के सरूप ब्रह्मरूप के निधाना है।
गाँव के उत्तर से दक्खिन ले सघन बाँस 
पुरूब बहे नारा जहाँ काहीं का सिवाना है।
द्विज महेन्द्र रामदास पुर के ना छोड़ों आस
सुख-दुख सभ सहकार के समय को बिताना है।

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